जिन्दगी
- जिन्दगी तुम तो बहरूपिया हो गए हो नित नए रूप दिखा रहे हो.
- जिन्दगी तुम कसाई हो गए हो रोज मेरे सपनो को जिबह करते हो.
- जिन्दगी तुम बहुत वजनी हो गये हो मुझसे उठते ही नहीं हो.
- जिन्दगी तुम बेईमान हो सिर्फ मेरे मर्म पर चोट करते हो.
- जिन्दगी तुम बस पत्थर हो दिल को शीशा ही समझते हो.
- जिन्दगी तुम जूता हो सिर्फ मुझे मसलना ही तुम्हें पसंद है.
- जिन्दगी तुमने बहुत कांटें बिछा दिए,छलनी पावं अब रखें कहाँ.
- जिन्दगी कभी अच्छे रूप में कम से कम सपनो में तो आओ.
- जिन्दगी बहुत रूला दिया कभी हसाँ के भी दिखाओ.
- जिन्दगी तुमने बहुत बिगाड़ दिया कभी संवार के दिखाओ.