आरुषि मर्डर की गुत्थी
आज आरुषि हत्या कांड की गुत्थी को सुलझाने का दावा करती हुई कोर्ट कि ओर से फैसला आ गया और पिता को दोषी और माँ को हत्या में सहयोगी समझते हुए आजीवन कारावास कि सजा सुनाई गयी।
पता नहीं दिल ये स्वीकार कर ही नहीं पा रहा है पढ़े -लिखे डॉक्टर दंपत्ति ऐसा कर गुजरेंगे। कोर्ट के फैसले को यदि सच मानें तो दिल दहसत से भर जा रहा है कि बेटी वाकई कहीं सुरक्षित नहीं है ,चाहे कोख हो,सड़क हो ,बस हो ,लिफ्ट हो ,ऑफिस हो या फिर अपने घर में हो। काल्पनिक बातों से परे यदि सोचे कि ऐसा कौन सी गलती उस बच्ची से हो गयी थी जिस कि कोई माफी नहीं थी। आज जिसे सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री कह कर साढ़े पाँच साल से उछाला जा रहा है ,उससे काफी कम उछाल बाप कि पगड़ी की हुई होती यदि सिर्फ एक माफ़ी आरुषि को मिल जाती। क्या तलवार बिना सोचे समझे आवेश ,उत्तेजना और क्रोध में अंधे हो ये नहीं देखता कि कट क्या रहा है बेटी ,नौकर ,इज्जत या जिंदगी ?
सुनते हैं तलवार दंपत्ति निःसंतान थे ,काफी सालों के बाद कृत्रिम तरीके से यानि आरुषि एक test tube बेबी थी। कभी कभी इंसान ,ईश्वर के संकेतों को समझ नहीं पाता है। शायद निःसंतान रहने का दुःख इस जहालत वाली जिंदगी से बहुत कम होता।
आज आरुषि हत्या कांड की गुत्थी को सुलझाने का दावा करती हुई कोर्ट कि ओर से फैसला आ गया और पिता को दोषी और माँ को हत्या में सहयोगी समझते हुए आजीवन कारावास कि सजा सुनाई गयी।
पता नहीं दिल ये स्वीकार कर ही नहीं पा रहा है पढ़े -लिखे डॉक्टर दंपत्ति ऐसा कर गुजरेंगे। कोर्ट के फैसले को यदि सच मानें तो दिल दहसत से भर जा रहा है कि बेटी वाकई कहीं सुरक्षित नहीं है ,चाहे कोख हो,सड़क हो ,बस हो ,लिफ्ट हो ,ऑफिस हो या फिर अपने घर में हो। काल्पनिक बातों से परे यदि सोचे कि ऐसा कौन सी गलती उस बच्ची से हो गयी थी जिस कि कोई माफी नहीं थी। आज जिसे सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री कह कर साढ़े पाँच साल से उछाला जा रहा है ,उससे काफी कम उछाल बाप कि पगड़ी की हुई होती यदि सिर्फ एक माफ़ी आरुषि को मिल जाती। क्या तलवार बिना सोचे समझे आवेश ,उत्तेजना और क्रोध में अंधे हो ये नहीं देखता कि कट क्या रहा है बेटी ,नौकर ,इज्जत या जिंदगी ?
सुनते हैं तलवार दंपत्ति निःसंतान थे ,काफी सालों के बाद कृत्रिम तरीके से यानि आरुषि एक test tube बेबी थी। कभी कभी इंसान ,ईश्वर के संकेतों को समझ नहीं पाता है। शायद निःसंतान रहने का दुःख इस जहालत वाली जिंदगी से बहुत कम होता।
जिस पीड़ा से माँ बाप गुजरते हैं यह भुगतभोगी ही जान सकता है
जवाब देंहटाएंकाया जब बीटा या बेटी सोचते हैं की बाप की पग्र्ही भी है ?
सही कह रहीं है आप। Thanks Asha ji.
हटाएंBeti to galti ki,aadhar kisne bana kar diya...us masum ko kisne kabhi sahi-galat ka gyan karwaya....oh dil dahal jata hai soch ke....aulad to kaleze se lagane ki chiz hai...talwar kaise utha...wishwas nahi hota...
जवाब देंहटाएंआरुषि को उसके माता पिता ने नहीं मारा है। इस मर्डर मिस्ट्री की गुत्थी अभी सुलझी नहीं है ,केस तो सबूतो के अभाव में बंद हो ही गया था। कहानी इतनी आसान नहीं है जितनी कोर्ट ने समझाई है। अब हाई कोर्ट के फैसले का इन्तेजार रहेगा।
हटाएंआपकी इस रचना को हिंदी ब्लोग्गेर्स चौपाल के शुक्रवारीय अंक २९/११/२०१३ पर शामिल किया गया हैं अवलोकन हेतु पधारे धन्यवाद
जवाब देंहटाएंThanks Neelima ji.........aabhar.
हटाएंसही बात...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
Dhanywad Chatuevedi ji.
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