रविवार, 25 मई 2014

चित्र कथा -"स्वप्न " प्रतियोगिता में प्रथम आई

स्वप्न 
(प्रतियोगिता के लिए )
२५ /०५/२०३४
मैं पेशे से फोटोग्राफर हूँ भले ही मेरा जन्म भारत में हुआ है पर पूरी दुनिया में मेरे लिए गए फोटो की चर्चा होती है। अमेरिका और इंग्लॅण्ड से लोग मुझसे फोटोग्राफी के टिप्स लेने आते हैं। यूं भी ये अमरीकी आज कल किसी भी बहाने भारत आने की ताक में लगे रहते हैं ,पढ़ाई करने या नौकरी करने। अब हम दुनिया के सबसे विकसित देश हैं तो भाई पूरी दुनिया हमारी ओर खिंचिगी ही। पिछले दिनों बनारस में विश्व स्तर की एक चित्र प्रदर्शनी हुई ,मेरी एक तस्वीर ने तहलका   मचा दी उस प्रदर्शनी में। जिसमे एक कृशकाय ,मैले कुचैले कपङे पहने बच्चे को जमीन पर बिखरे कुछ भोज्य पदार्थों को खाते दिखाया गया है। नौजवानो ने कभी ऐसा दृश्य देखा ही नहीं है ,सभी द्रवित हो उस तस्वीर को देख रहे थे कि दुनिया के किस कोने में कोई ऐसा बच्चा है। वहीं अधेड़ और बुजुर्ग प्रतियोगी और दर्शक अपनी अपनी यादो का पिटारा खोल सुना रहें थे कि पहले हमारे देश में ऐसा भी होता था जब लोग को भरपेट भोजन भी नसीब नहीं होता था। बच्चों को बताया जा रहा था कि उन्हें "गरीब "कहा जाता था।
लोग मुझसे पूछ रहें थे कि ये चित्र मैंने ली कहाँ ,मैं चुप था क्या बताता कि मैंने वर्षो पहले एक सोशल नेटवर्किंग साइट से नीता राठौर द्वारा डाली गयी फोटो को ही यहाँ प्रदर्शनी में लगा दी क्यों कि "गरीबी और भूख" तो अब बीती ज़माने की बात हो गयी है।
@Rita Gupta
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