राजा का टीला
( एक पुरानी कहानी,सन्दर्भ नया )
कुछ बच्चे खेलते खेलते एक पुरानी खंडहर में चले गएँ। अचानज राजू की आवाज आई - सेनापति सेना को कूच करने की आज्ञा दो। महामंत्री आप को मैंने सच्चाई को पता लगाने कहा था ,क्या किया आपने ?सब मुड़ कर देखने लगे ,राजू एक टीले के ऊपर चढ़ा हुआ था। उसके चेहरे पर एक आभा थी और बिलकुल कहीं के राजा जैसे बोल रहा था। सीमा हंसती हुई उसका हाथ पकड़ ऊपर चढ़ गयी और उसे धक्का दे दिया ,अब सीमा बोल रही थी - न्याय होगा ,मेरे दरबार में अन्याय हो ही नहीं सकता है। महामंत्री दोनों पक्षों को हाजिर करो। अब राजू सामान्य सा दिख रहा था और वो आब-ताब अब सीमा के चेहरे पर थी। जल्द ही बच्चो को समझ आ गयी कि उस टीले पर जो चढ़ता है वह राजा सा व्यवहार करने लगता है। धीरे धीरे वह टीला राजा का टीला के नाम से मशहूर हो गया।
वैसे ही हमारे देश की प्रधान मंत्री की कुर्सी कुछ दिनों में हो गयी है। वाचाल हो या मौन ,जो उसपर विराजमान होता है वो मौनी बाबा हो जाता है।
पाणिग्रहण के वक़्त उसकी लाल चुनार और उसके पीले अंगोझे को अक्षत आशीर्वाद से अभिमंत्रित किया था। अभी दो कदम ही चले थे कि अविश्वास और नफरत की बेल ने अपनी जड़ें जमा ली। प्यार का रिश्ता कब नफरत के रिश्तों को अपना लिया महसूस ही नहीं हुआ। दरारें पड़ने लगीं उनके प्यार में ,गृहस्थी में और विश्वास में। हर वो चीज जो उनका साझा था उसमे दरारे होतीं गयीं। अविश्वास और गलतफहमियों ने आपस की समस्त सुषमा ,नमी और आद्रता को सोख लिया। रिश्ते बेजान -बंजर -शुष्क हो गए। पर …………… दरारों की अनंत चादर पर दो नन्हे कोपल अभी भी मौजूद थे -उनके बच्चे। नन्ही जान पर रिश्तों की दरारों को भरने में मशगूल। उनके ही सर पर उस ओस और आशा की मटकी थी जिनमे इस बंजर होती जा रही रिश्तों को फिर से जीवंत और हराभरा करने की क्षमता थी।
( एक पुरानी कहानी,सन्दर्भ नया )
कुछ बच्चे खेलते खेलते एक पुरानी खंडहर में चले गएँ। अचानज राजू की आवाज आई - सेनापति सेना को कूच करने की आज्ञा दो। महामंत्री आप को मैंने सच्चाई को पता लगाने कहा था ,क्या किया आपने ?सब मुड़ कर देखने लगे ,राजू एक टीले के ऊपर चढ़ा हुआ था। उसके चेहरे पर एक आभा थी और बिलकुल कहीं के राजा जैसे बोल रहा था। सीमा हंसती हुई उसका हाथ पकड़ ऊपर चढ़ गयी और उसे धक्का दे दिया ,अब सीमा बोल रही थी - न्याय होगा ,मेरे दरबार में अन्याय हो ही नहीं सकता है। महामंत्री दोनों पक्षों को हाजिर करो। अब राजू सामान्य सा दिख रहा था और वो आब-ताब अब सीमा के चेहरे पर थी। जल्द ही बच्चो को समझ आ गयी कि उस टीले पर जो चढ़ता है वह राजा सा व्यवहार करने लगता है। धीरे धीरे वह टीला राजा का टीला के नाम से मशहूर हो गया।
वैसे ही हमारे देश की प्रधान मंत्री की कुर्सी कुछ दिनों में हो गयी है। वाचाल हो या मौन ,जो उसपर विराजमान होता है वो मौनी बाबा हो जाता है।
पाणिग्रहण के वक़्त उसकी लाल चुनार और उसके पीले अंगोझे को अक्षत आशीर्वाद से अभिमंत्रित किया था। अभी दो कदम ही चले थे कि अविश्वास और नफरत की बेल ने अपनी जड़ें जमा ली। प्यार का रिश्ता कब नफरत के रिश्तों को अपना लिया महसूस ही नहीं हुआ। दरारें पड़ने लगीं उनके प्यार में ,गृहस्थी में और विश्वास में। हर वो चीज जो उनका साझा था उसमे दरारे होतीं गयीं। अविश्वास और गलतफहमियों ने आपस की समस्त सुषमा ,नमी और आद्रता को सोख लिया। रिश्ते बेजान -बंजर -शुष्क हो गए। पर …………… दरारों की अनंत चादर पर दो नन्हे कोपल अभी भी मौजूद थे -उनके बच्चे। नन्ही जान पर रिश्तों की दरारों को भरने में मशगूल। उनके ही सर पर उस ओस और आशा की मटकी थी जिनमे इस बंजर होती जा रही रिश्तों को फिर से जीवंत और हराभरा करने की क्षमता थी।
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