मंगलवार, 23 जून 2015

अकबर और बीरबल

अकबर और बीरबल वर्तमान युग में अवतीर्ण होकर आश्चर्य चकित हैं .ऐसी परिस्थिति में उनके बीच हुए संवाद को १० पंक्तियों में लिखिए .
बीते वक़्त के दो महारथी अकबर और बीरबल ,अचानक खुद को दिल्ली की भीड़ में पातें हैं .बीरबल सदा से कुशल वाकपटु अधीनस्थ अधिकारी थें.
अकबर : बीरबल ,विश्वास ही नहीं हो रहा कि ये वही दिल्ली है,कितनी भीड़ भाड़ है .इसके सन्नाटे से          घबरा कभी मैंने राजधानी आगरा किया था .
बीरबल : महाराज ,आपने बिलकुल ठीक किया था .ये जगह राजधानी बनने लायक हरगिज नहीं है .
अकबर : पता नहीं मेरे स्वर्गवासी होने के बाद मेरे वंशजो ने क्या किया इस शहर के लिए ?
बीरबल : जहाँपनाह ,वह देखिये लाल पत्थरों का किला और उसके सामने अवस्थित जामा –मस्जिद ,आपके पोते शाहजहाँ ने बनवाया था .
अकबर (थोडा रुआंसा होते हुए ): इसका मतलब है मुझे तो लोग याद भी नहीं करते होंगे .
बीरबल: नहीं जहाँपनाह ,उधर चलिए दिल्ली शहर के बीचों-बीच आपके नाम की सड़क मौजूद है .
अकबर :पर जनमानस इन सहस्त्र वर्षों में मुझे भूल ही चुके होंगे .
बीरबल : नहीं जहाँपनाह ,आधुनिक युग के एक महान आविष्कार टेलीविजन पर आप और महारानी जोधा की रोज कहानियाँ दिखाई जाती हैं .
बहुत देर से पीछा कर रहे, सूट-बूट में सजे दो युवक अचानक बीरबल के चरणों में गिरे मिलतें हैं .
हाथ जोड़ बोलते हैं :मिस्टर बीरबल  ,आपको एक करोड़ का पैकेज दिया जायेगा अगर आप बॉस को डील करने की कला हमारे मैनेजमेंट के छात्रों को पढ़ायें .
बीरबल ने बिना एक क्षण गवाएं अकबर को टाइम मशीन में बिठाया और वापस मुग़ल काल में भेज दिया और खुद चल पड़ा उनके साथ अपना भविष्य बनाने .    






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